भगवान तेरा इंसान देख ले: मोहम्मद रफी का एक दर्द भरा गीत
"भगवान तेरा इंसान देख ले" एक प्रसिद्ध हिंदी भजन है, जिसे मोहम्मद रफी ने गाया है। यह गीत 1956 की फिल्म "आस्तिक" में प्रदर्शित हुआ था। इस गीत के माध्यम से, कवि भगवान से पूछते हैं कि उन्होंने इंसानों को इतना नादान क्यों बनाया है।
गीत के बोल
भगवान तेरा इंसान देख ले,
मैं कितना नादान देख ले।
ये दुनिया है कितनी बड़ी,
इसमें है कितनी ज़िंदगी,
हर एक जीवन एक कहानी,
हर एक कहानी में है दर्द की रवानी।
भगवान तेरा इंसान देख ले,
मैं कितना नादान देख ले।
किसी के होंठों पे है मुस्कान,
किसी के आँखों में है आँसू,
कोई जी रहा है उम्मीद में,
कोई खोया है निराशा में।
भगवान तेरा इंसान देख ले,
मैं कितना नादान देख ले।
ये ज़िंदगी है एक रंगमंच,
यहाँ हर कोई अपना किरदार निभाता है,
कोई बनता है राजा,
कोई बनता है भिखारी।
भगवान तेरा इंसान देख ले,
मैं कितना नादान देख ले।
गीत का भाव
यह गीत हमें जीवन की वास्तविकता से परिचित कराता है। यह हमें बताता है कि दुनिया में हर तरह के लोग हैं, और हर किसी की अपनी कहानी है। कुछ लोग खुश हैं, तो कुछ लोग दुखी। कुछ लोग उम्मीदों से भरे हैं, तो कुछ लोग निराशा में डूबे हुए हैं।
यह गीत हमें यह भी बताता है कि जीवन एक रंगमंच है, और हर किसी को अपना किरदार निभाना होता है। कोई राजा बनता है, तो कोई भिखारी।
गीत का संदेश
यह गीत हमें यह संदेश देता है कि हमें भगवान पर विश्वास रखना चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भगवान ने हमें बनाया है, और वह हमेशा हमारे साथ हैं।
गीत का महत्व
यह गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है। यह गीत हमें जीवन के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। यह गीत हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें दूसरों के साथ दयालु होना चाहिए।