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| Aankh Micholi Song Lyrics |
🎶 "आँख मिचौली" (Aankh Micholi): एक सदाबहार गीत की कहानी
आँख मिचौली: बॉलीवुड के स्वर्ण युग का एक मनमोहक गीत
"आँख मिचौली" गीत भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण युग की याद दिलाता है, जहाँ सादगी, माधुर्य और लोक-संस्कृति गीतों की आत्मा होती थी। यह गीत फ़िल्म 'आँख मिचौली' का एक शानदार हिस्सा है, जिसे अपनी सुमधुर आवाज़ से गायिका नलिनी जयवंत ने अमर कर दिया है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में खेली जाने वाली एक पारंपरिक खेल, 'आँख मिचौली' (छुपा-छुपी) के इर्द-गिर्द बुनी गई प्रेम और सखी-भाव की कहानी है।
गीत के बोल (Lyrics)
आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली
आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली
कली की आँखरी न होवे, फूलों की पाखरी न होवे कली की आँखरी न होवे, फूलों की पाखरी न होवे खुशबू बनेंगे हम, खुशबू खुशबू बनेंगे हम, खुशबू
ऐसे तो पकड़ेंगे हम, पा ना सकोगी ऐसे तो पकड़ेंगे हम, पा ना सकोगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी आओ सखी खेलें आँख मिचौली आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली
जुगनू के दीप जला लेंगे घुंघरु का भेस बना लेंगे जुगनू के दीप जला लेंगे घुंघरु का भेस बना लेंगे
चुटकी बनेंगे हम, चुटकी चुटकी बनेंगे हम, चुटकी
झूलेंगी, झूलेंगी हम, जा ना सकोगी झूलेंगी, झूलेंगी हम, जा ना सकोगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी आओ सखी खेलें आँख मिचौली आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली
हम नींदों में खो जाएंगे सपनों में आ जाएंगे हम नींदों में खो जाएंगे सपनों में आ जाएंगे
जा ना सकूँगी गोरी जा ना सकूँगी जा ना सकूँगी गोरी जा ना सकूँगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी पा ना सकोगी गोरी पा ना सकोगी आओ सखी खेलें आँख मिचौली आँख मिचौली आँख मिचौली आओ सखी खेलें आँख मिचौली
गीत का सार और भावनात्मक अपील
गीत के बोल (Lyrics) सखियों के बीच के चुलबुले संवाद को दर्शाते हैं, जहाँ एक-दूसरे को पकड़ने और छेड़ने का प्यारा सा मज़ाक चलता है। यह गीत तीन मुख्य भावों को सुंदरता से व्यक्त करता है:
खेल की मस्ती (आँख मिचौली):
गीत की शुरुआत ही खेल के आमंत्रण से होती है: "आओ सखी खेलें आँख मिचौली।"
यह हिस्सा नोस्टैल्जिया पैदा करता है, श्रोताओं को उनके बचपन के दिनों और दोस्तों के साथ खेले गए सरल खेलों की याद दिलाता है।
प्रेम और प्रकृति का मेल:
बोलो में प्रकृति के खूबसूरत उपमाएं हैं: "कली की आँखरी न होवे, फूलों की पाखरी न होवे, खुशबू बनेंगे हम।"
यहां 'खुशबू' बन जाना दर्शाता है कि प्रेम और चाहत को केवल भौतिक रूप से नहीं पकड़ा जा सकता, बल्कि महसूस किया जाता है, जो इसे रोमांटिक और काव्यात्मक बनाता है।
सपनों और कल्पनाओं की दुनिया:
गीत का तीसरा चरण कल्पना की उड़ान है: "जुगनू के दीप जला लेंगे, घुंघरु का भेस बना लेंगे।" और "हम नींदों में खो जाएंगे, सपनों में आ जाएंगे।"
यह बताता है कि अगर असल दुनिया में प्रेमी या सखी हाथ न आए, तो वे जुगनू की रोशनी और घुंघरू की धुन में छिप जाएंगे, या सपनों की दुनिया में मिल जाएंगे, जहाँ कोई 'पा ना सकोगी'।
नलिनी जयवंत की आवाज़ का जादू
नलिनी जयवंत की आवाज़ में एक खास तरह की मिठास और नज़ाकत थी, जो इस तरह के हल्के-फुल्के, रोमांटिक और लोक-आधारित गीतों के लिए एकदम सही थी। उनकी गायन शैली उस दौर की नायिकाओं की मासूमियत और अदाओं को बखूबी दर्शाती है।
पुरानी हिन्दी संगीत के प्रेमियों के लिए
"आँख मिचौली" उन गानों में से एक है जो बॉलीवुड के उस दौर की पहचान है जब संगीत में अत्यधिक वाद्य यंत्रों की जटिलता नहीं होती थी, बल्कि संगीत की धुनें और बोल ही गीत की आत्मा होते थे। आज भी पुराने हिन्दी गीतों (Old Hindi Songs) के प्रशंसक इस गीत को सुनना पसंद करते हैं क्योंकि यह उन्हें एक शांत, सुखद और सरल समय में ले जाता है।

